Friday, December 20, 2019

नागरिकता संशोधन क़ानून पर सरकार को विज्ञापन की ज़रूरत क्यों

गृह मंत्री अमित शाह कहते हैं, "दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है, जहां कोई भी जाकर बस सकता है. देश के नागरिकों का रजिस्टर होना, यह समय की ज़रूरत है. हमने अपने चुनावी घोषणा पत्र मे देश की जनता को वादा किया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

"न केवल असम बल्कि देश भर के अंदर हम एनआरसी लेकर आएंगे. NRC के अलावा देश में जो भी लोग हैं, उन्हें क़ानूनी प्रक्रिया के तहत बाहर किया जाएगा."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

यह पहली दफ़ा नहीं है, जब अमित शाह ने यह बात कही हो. वे इससे पहले भी कई जगहों और मौक़ों पर पूरे दम-खम से देश भर में एनआरसी लागू करने की अपनी सरकार और पार्टी की प्रतिबद्धता को जताते रहे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो हमेशा ज़ोर देकर सरकार के इस कार्यकाल में पूरे देश में एनआरसी को लागू करने की बात करते रहे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

लेकिन एनआरसी और नागरिकता क़ानून को लेकर जगह-जगह हो रहे प्रदर्शनों के बाद केंद्र सरकार ने गुरुवार को अख़बारों में विज्ञापन प्रकाशित करवाए हैं और अपनी स्थिति फिर से स्पष्ट की है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

विज्ञापन में लिखा है, "अधिनियम से जुड़ी कई प्रकार की अफ़वाहें और ग़लत सूचनाएँ फैलाई जा ही हैं, लेकिन ये किसी भी तरह से सच नहीं है."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसके बाद तीन बिंदुओं में अफ़वाहों और उनके बारे में सच क्या है, इसका ज़िक्र किया गया है. पहले दो बिंदु में सरकार ने स्पष्ट किया है कि सीएए किसी भारतीय नागरिक को, चाहे वो मुसलमान ही क्यों न हो, प्रभावित नहीं करता है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

यह तर्क पहले से भी सरकार और गृह मंत्री अमित शाह देते आए हैं, लेकिन विज्ञापन का तीसरा बिंदु लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

तीसरा बिंदु कुछ इस तरह हैःमुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अफ़वाहः ऐसे दस्तावेज़ जिनसे नागरिकता प्रमाणित होती हो, उन्हें अभी से जुटाने होंगे अन्यथा लोगों को निर्वासित कर दिया जाएगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सचः ग़लत. किसी राष्ट्रव्यापी एनआरसी की घोषणा नहीं की गई है. अगर कभी इसकी घोषणा की जाती है तो ऐसी स्थिति में नियम और निर्देश ऐसे बनाए जाएंगे ताकि किसी भी भारतीय नागरिक को परेशानी न हो.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

एनआरसी पर सरकार ने जो विज्ञापन प्रकाशित करवाया है, उसे जानकार सीएए के ख़िलाफ़ देश भर में पनपे ग़ुस्से को शांत करने की एक कोशिश भी समझा जा रहा है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

एनआरसी को मूल रूप से सुप्रीम कोर्ट की तरफ से असम के लिए लागू किया गया था. इसके तहत अगस्त की महीने में यहां के नागरिकों का एक रजिस्टर जारी किया गया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

प्रकाशित रजिस्टर में क़रीब 19 लाख लोगों को बाहर रखा गया था. जिनका नाम इस रजिस्टर में नहीं है, उन्हें अपनी नागरिकता साबित करनी होगी. मामले ट्रिब्यूनल में चल रहे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब सीएए के विरोध प्रदर्शनों में एनआरसी की भी बात की जा रही है और यह कहा जा रहा है कि अब सभी नागरिकों को यह साबित करना होगा कि यहां के नागरिक हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सीएए के ख़िलाफ़ देश भर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. पूर्वोत्तर राज्यों से शुरू हुआ विरोध धीरे-धीरे देश की राजधानी दिल्ली पहुंच गया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कई राज्यों में विश्वविद्यालय के छात्र सड़क पर उतर आए हैं और सरकार से क़ानून के वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

विभिन्न राजनीतिक पार्टियां और संस्थाएं सीएए और देशव्यापी एनआरसी के एक साथ लागू हो जाने की स्थिति में उत्पन्न होने वाले ख़तरों पर लोगों को अगाह कर रहे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कहा, "जो लोग पाकिस्तान से आएंगे, उनके दस्तावेज़ भारत सरकार बनाएगी और जिन अपने लोगों के पास दस्तावेज़ नहीं होंगे उन्हें सरकार देश से बाहर निकालेगी."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इससे पहले कांग्रेस के गौरव वल्लभ ने भी सरकार को इस मुद्दे पर घेरते हुए कहा है कि सरकार लोगों से उनके नागरिक होने के दस्तावेज़ मांग रही है और प्रधानमंत्री और उनके मंत्री अपनी शैक्षिक योग्यता के दस्तावेज़ तक नहीं दिखा पा रहे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

हालाँकि गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि विपक्ष एकजुट होकर सीएए के ख़िलाफ़ अफ़वाहें फैला रहा है और अल्पसंख्यकों को रत्ती भर नुक़सान नहीं पहुंचेगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी कहती हैं, "जिस तरह से देश भर के युवा सड़कों पर उतर आए हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि सरकार दबाव में आ रही है और उसे इस तरह का विज्ञापन देना पड़ रहा है और यह स्पष्ट करना पड़ रहा है कि एनआरसी पूरे देश में लागू नहीं किया गया है."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी आज के युवाओं को, ख़ास कर साल 2000 के बाद पैदा हुई पीढ़ी को संबोधित करते रहे हैं, ऐसे में उनका सड़कों पर एनआरसी और सीएए का विरोध करना, उन्हें सकते में डाल रहा है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

नीरजा चौधरी कहती हैं, "जो सरकार एक दिन पहले तक एनआरसी के मुद्दे पर दृढ़ दिख रही थी, गृह मंत्री इसे लागू करने की बात कर रहे थे, आज उसी सरकार का विज्ञापन अगर ऐसा लिखता है तो यह साफ है कि सरकार का रुख नरम पड़ रहा है." मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

Thursday, December 5, 2019

गुजरात के शहरों में अब हेलमेट पहनना ज़रूरी नहीं

गुजरात सरकार ने शहरी इलाक़ों में दुपहिया वाहनों पर हेलमेट पहनना अनिवार्य होने के क़ानून में छूट देने का एलान किया है.

ये छूट केवल नगरपालिका और म्युनिसिपिलैटी के तहत आने वाले इलाक़ों में ही दी गई है. हाइवे और ग्रामीण इलाक़ों में हेलमेट अब भी अनिवार्य रहेगा.

गुजरात सरकार ने ये फ़ैसला इस बारे में बड़ी संख्या में असुविधा होने की शिकायतें सामने आने के बाद किया.

केंद्र सरकार ने कुछ ही महीने पहले मोटर वाहन क़ानूनों में बदलाव किया था जिसके बाद जुर्माने की राशि कई गुना बढ़ा दी गई थी.

बुधवार को मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद परिवहन मंत्री आरसी फलदू ने कहा, "ये फ़ैसला काफ़ी विचार के बाद लिया गया क्योंकि कई संगठनों और संस्थाओं ने शहरी क्षेत्र में इस क़ानून में छूट दिए जाने की मांग की थी."

इस छूट के बाद अब गुजरात में शहरी इलाक़ों में पुलिस बिना हेलमेट पहने दुपहिया वाहन चलाने वालों पर जुर्माना नहीं लगा सकेगी.

इससे पहले भी गुजरात में जुर्माने की राशि बढ़ाए जाने को लेकर भारी विरोध हुआ था जिसके बाद गुजरात पहला राज्य बना जहाँ इस क़ानून में छूट दी गई थी.

नए क़ानून में बिना हेलमेट पहने वाहन चलाते समय पकड़े जाने पर 1000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान था मगर गुजरात में इसे आधा कर 500 रुपए कर दिया गया था.

साथ ही दुपहिया वाहनों पर दो से ज़्यादा लोगों के बैठने के लिए 1000 रुपए का जुर्माना तय किया गया था मगर गुजरात में इसे घटाकर केवल 100 रुपया कर दिया गया.

बिना सीट बेल्ट पहने पकड़े जाने पर 1,000 रुपए के जुर्माने को भी घटाकर 500 रुपया कर दिया गया था.

ऐसे ही ट्रैफ़िक नियम तोड़ने के दूसरे मामलों, जैसे बिना लाइसेंस या इंश्योरेंस या प्रदूषण सर्टिफ़िकेट के गाड़ी चलाने, या शराब पीकर गाड़ी चलाने जैसे मामलों में भी जुर्माने की राशि घटा दी गई थी.